ईश्वर Bhagwan का ध्यान कैसे करें ? ईश्वर में रुचि कैसे उत्पन्न हो Ishwar In Hindi

ईश्वर का ध्यान कैसे करें ईश्वर में रुचि कैसे उत्पन्न हो आज आप इस लेख के माध्यम से यही जानेंगे। दोस्तों Ishwar का ध्यान प्रत्येक मनुष्य को करना चाहिए यदि प्रत्येक मनुष्य ईश्वर का ध्यान करने लगे तो उसे निश्चित रूप से सदैव ही शांति की अनुभूति होगी और वह कभी भी किसी भी मार्ग में भटकेगा नहीं।

ईश्वर Ishwar Bhagwan परमात्मा  का ध्यान कैसे करें ?

जो व्यक्ति ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहते हैं उन्हें तो ईश्वर का ध्यान जरूर से भी जरूर करना चाहिए क्योंकि इस मार्ग में Ishwar के ध्यान के बिना यह मार्ग आपके लिए सिर्फ और सिर्फ बाधाएं उत्पन्न करेगा इस मार्ग पर कभी भी आप उन्नति पर नहीं पहुंच पाएंगे।

चलिए दोस्तों पहले हम जानते हैं कि ईश्वर में रुचि किस प्रकार उत्पन्न की जाती है।

दोस्तों आर्य समाज के बहुत बड़े विद्वान वेदों के विद्वान स्वामी विवेकानंद परिव्राजक जी हैं उन्हीं के प्रवचनों के आधार पर मैं इस लेख को आपके सामने प्रस्तुत करता हूं। मैंने खुद अपने निजी जीवन में स्वामी जी के बताए हुए मार्ग के अनुसार काफी लाभ उठाया है आप भी उठाएंगे मैं ऐसी आशा करता हूं।

ईश्वर में रुचि कैसे उत्पन्न करें

मन उस वस्तु में लगता है जिसमें व्यक्ति की रुचि होती है रुचि उसी वस्तु में होती है जिस वस्तु का व्यक्ति लाभ जानता है जैसे कि लोगों की रूचि धन में है क्योंकि लोग धन का लाभ जानते हैं।

इसी तरह से यदि आप Ishwar का लाभ जान लेंगे तो उसमें भी रुचि हो जाएगी और आपका मन Ishwar में लगने लगेगा।

Ishwar में रुचि कैसे होगी जानते हैं

इसके लिए आप Ishwar के गुणों का बराबर चिंतन करें परमात्मा में रूचि हो जाएगी वेद आदि सत्य शास्त्रों के आधार पर ऋषियों ने Ishwar के गुण बताएं हैं ईश्वर सर्वज्ञ है वह सब कुछ जानता है।

Bhagwan न्याय कारी है कभी किसी पर अन्याय नहीं करता सदा सब के साथ न्याय ही करता है भले ही लोग Ishwar के न्याय को नहीं समझते और निर्दोष होते हुए भी परमात्मा को रोज गालियां देते हैं यह अपराध है और इसका दंड भी मिलेगा।

Ishwar आनंद स्वरूप है वह हमें संसार के सब सुख देता है और मोक्ष का आनंद भी देता है ईश्वर के ऐसे समस्त गुणों का प्रतिदिन गहराई से चिंतन करें तो धीरे-धीरे आपकी रुचि Bhagwan में बढ़ेगी तथा आपका मन Ishwar में लगेगा इसके अतिरिक्त हर रोज निराकार ईश्वर का ध्यान करें

आइए अब हम जानते हैं ईश्वर का ध्यान किस प्रकार से किया जाता है।

ईश्वर का ध्यान किस प्रकार से करें

Ishwar का ध्यान इस प्रकार से करें कहीं अलग कमरे में बैठे जहां शोर, धूल या मिट्टी आदि ना हो। आसन लगाकर बैठे कमर और गर्दन सीधी तथा आंखें बंद हो मन में संकल्प करें अब हम केवल परमात्मा का ही विचार मन में लाएंगे।

सांसारिक विचार मन में नहीं लाएंगे इसके बाद मन में ऐसा सोचे चारों तरफ खूब गहरा अंधेरा है कोई प्रकाश नहीं है शून्य आकाश सा अर्थात खाली खाली स्थान है ऐसा सोचने से मन में सांसारिक विचार नहीं आएंगे।

अब ईश्वर का ध्यान करने के लिए मन में आकाश खाली स्थान का विचार करें। इस आकाश में निराकार सर्वव्यापक Ishwar को स्वीकार करें जैसे आकाश निराकार और सब जगह विद्यमान है इसी प्रकार Bhagwan भी आकाश के समान निराकार और सब जगह विद्यमान है ऐसा सोचे।

Ishwar को सीधा संबोधन करें

हे ईश्वर! आप एक हैं आप सब जगह रहते हैं आप निराकार हैं आप चेतन अर्थात सर्वज्ञ हैं आप न्यायकारी और आनंद स्वरूप हैं। इतना बोलने से आपकी ध्यान की अच्छी तैयारी हो जाएगी फिर इन मंत्रों को अर्थ सहित बार-बार बोलकर ईश्वर से प्रार्थना करें।

  1. ध्वनि पूर्वक Ishwar का नाम लंबा करके बोले जैसे “ओ३म्” यह परमात्मा का नाम है फिर “ओ३म्” का अर्थ बोले। इसका अर्थ है सर्वरक्षक “हे ईश्वर आप सब के रक्षक हैं आप हमारी भी रक्षा कीजिए” इस प्रकार से बार बार बोलें 5 मिनट तक ऐसे ही बोले।
  2. अब फिर 5 मिनट तक दूसरे मंत्र से ध्यान करें जैसे कि “ओ३म्” न्यायकारी अर्थ “हे परमात्मा आप न्यायकारी हैं हमें भी न्याय कार्य बनाइए आप कभी किसी पर अन्याय नहीं करते हम भी कभी किसी पर अन्याय नहीं करेंगे ।
  3. फिर 5 मिनट तक तीसरे मंत्र से ध्यान करें जैसे कि “ओ३म्” आनंद: अर्थ “हे ईश्वर आप आनंद स्वरूप हैं हमें भी आनंद दीजिए आप कभी भी दुखी नहीं होते हम भी कभी भी दुखी ना हो”

Ishwar के ध्यान में मंडी के आना टीके कम से कम 15 मिनट सुबह और 15 मिनट शाम को परमात्मा का ध्यान नियमित रूप से करें। अधिक करना चाहे तो अधिक भी कर सकते हैं दिन में अपना व्यवहार शुद्ध रखें। झूठ छल कपट आदि बुरे कर्मों से बचें और सत्य न्याय परोपकार आदि अच्छे कर्म करें।

संसार की मोहमाया कुछ कर् करें संसार में दुख है ऐसा चिंतन करें। परमात्मा में रुचि बढ़ाएं Ishwar में आनंद है ऐसा चिंतन करें धीरे-धीरे कुछ लंबे अभ्यास के बाद मन टिकने लगेगा और आनंद आने लगेगा।

ईश्वर एक अलग वस्तु है वह चेतन सर्वज्ञ है न्यायकारी है, आनंद का भंडार है, सृष्टि का राजा, संचालक है। उसके हजारों नाम है जैसे ब्रह्मा, विष्णु, महेश, शंकर, शिव, देवी, प्रजापति, अग्नि आदि। इन नामों से आप Bhagwan को साकार मत मान लेना।

इतने नाम होते हुए भी Bhagwan निराकार है इन नामों वाले कुछ महापुरुष भी हुए हैं परंतु वे ना तो ईश्वर थे और ना ही परमात्मा का अवतार थे। वे महापुरुष थे उन्होंने देश धर्म की सेवा की इसीलिए उनका सम्मान हम करते हैं।

परंतु उनको परमात्मा मानकर उनकी पूजा या उपासना नहीं कर सकते पूजा या उपासना तो केवल एक निराकार ईश्वर की ही करनी चाहिए इन महापुरुषों को आप देवता नाम से भी कह सकते हैं, परंतु मैं फिर दोहराता हूं कि इनका नाम इतिहास पढ़ सुनकर इनका सम्मान तो कर सकते हैं परंतु इनकी पूजा नहीं करनी चाहिए उससे कोई लाभ नहीं है।

Bhagwan आपका दुख अवश्य दूर करेगा यह आपकी ईमानदारी बुद्धिमता और पुरुषार्थ के अनुसार ही दुख दूर करेगा वह बेईमान मूर्ख और आलसियों का दुख दूर नहीं करेगा।

परमात्मा को पाने के लिए क्या करना चाहिए?

  • हर समय परमात्मा का ही चिंतन करना चाहिए।
  • ​हर समय ईश्वर पर्णिधान बनाकर रखने का अभ्यास करना चाहिए।
  • ​किसी पेड़ फल फूल कीडा पशु मनुष्य जिसको भी देखें तो ये ही भाव मन में रखें की जैसा वो परमात्मा मेरे भीतर है वैसा ही इन सबमें भी है।

भगवान का ध्यान कैसे किया जाता है?

  • किसी एकांत स्थान को चुने।
  • ​बहते जल के नजदीक हो तो और भी अच्छा।
  • ​जिस आसन में आप सुख से ज्यादा देर तक बैठ पाएं उस आसन को चुने।
  • ​अब आंखे बनद करके ये भाव बनाएं की ईश्वर आपको देख रहा है और सांसों पर ध्यान लगाए रखें।
  • ​कोई विचार आए तो वापस ईश्वर और सांसों पर मन को टिकादें।
  • ​इसका बार बार अभ्यास करने से मन आपके वश में होने लगेगा।
  • ​कुछ समय बाद आप की गहराई बढ़ती जाएगी।
  • ​सुबह शाम एक एक घंटे का अभ्यास जरूर करें।
  • ​अभ्यासी की ही विजय होती है ये बात जान कर समझ कर अभ्यास में लगे रहें।
  • ​अभ्यास कभी नही छोड़ना चाहिए।

ध्यान में क्या सोचना चाहिए?

  • ध्यान में केवल ईश्वर के बारे में ही चिंतन चलना चाहिए।
  • यदि आप सांसों पर ध्यान लगा रहे हैं तो केवल सांसों के विषय में ही जानना चाहिए।
  • यदि आप गायत्री मंत्र से ध्यान कर रहे हैं तो गायत्री और अर्थ के बारे में ही सोचना चाहिए।
  • ध्यान काल में किसी सांसारिक विषय के बारे में नही सोचना चाहिए।

24 घंटे ईश्वर में ध्यान लगाए रखना क्या सम्भव है ? (Ishwar Mein Dhyan Lagaye Rakhna)

बिलकुल संभव है 24 घंटे ishwar mein dhyan lagaye rakhna बिलकुल संभव है बस आपका अभ्यासी होना और सही विधि का पता होना जरुरी है फिर आपको सफलता मिलेगी मैं खुद इसका अभ्यास करता हूँ और एक समय एसा आएगा जब पुरे दिन ishwar mein dhyan lagaye rakhna मेरे लिए संभव हो जाएगा आइए आपको विधि बताता हूँ।

  • जब आप खाना खाएं तो इस भाव के साथ खाएं की आप इश्वर के भीतर हैं।
  • जब आप कहीं पैदल जा रहे हो तो अपनी सांसो के प्रति जागरूकता बनाए रखें और साथ में ये भी भाव रखें की आप को ईश्वर देख रहा है।
  • यदि आप किसी वाहान में यात्रा कर रहे हैं तो शांति से बैठे बैठे गायत्री मन्त्र का जाप करते रहें और यही भाव मन में रखें की ईश्वर आपको देख रहा है यदि आप गायत्री मन्त्र का का अभ्यास अर्थ सहित करेंगे तो और भी अच्छा इसके लिए आप ये लेख पढ़िए ध्यान कैसे करें?
  • आपको व्यायाम करना अच्छा लगता है और आप व्यायाम करते हैं तो व्यायाम करते समय मन में ये भाव रखें की आप इश्वर के भीतर ही व्यायाम कर रहे हैं और पूरी एकाग्रता के साथ करें।
  • जब आप सोने की तयारी करें तो पहले किसी एक स्थान पर धारणा बनालें फिर मन ही मन ओ३म् का जाप करते रहें लगातार के अभ्यास के बाद आप तो सो जाएँगे लेकिन आपका मन ओ३म् के जाप में ही लगा रहेगा और कुछ दिन बाद सुबह उठते हुए एक अलग ही उर्जा आपको मिलेगी महसूस होगी।

आपको ये समझ लेना चाहिए की अभ्यासी को ही सफलता मिलती है बिना अभ्यास के कुछ नहीं मिलता अभ्यासी कठिन से कठिन कार्य को भी करने में सफलता पाटा है इसीलिए आपको ध्यान का अभ्यास ईश्वर प्रणिधान का अभ्यास करते रहना है एक दिन सफलता जरुर मिलेगी।

निष्कर्ष

यदि आप परमात्मा भगवान का ध्यान करना चाहते हैं तो उसके बारे में अच्छे से जानिए समझिए और जो प्राचीन विधी हमारे पूर्वज अपनाते थे उसी को अपनाना चाहिए।
ईश्वर Bhagwan निराकार है

3 thoughts on “ईश्वर Bhagwan का ध्यान कैसे करें ? ईश्वर में रुचि कैसे उत्पन्न हो Ishwar In Hindi”

    • भाई दोड लगाने से पहले केवल 10 मिनट लम्बे गहरे सांस लेने छोड़ने की क्रिया कर लिया करो , और पुरे दिन अपने साँसों के प्रति जागरूकता बनाए रखा करो

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